PATNA SHUKLLA A STORY- जैसा की PATNA SHUKLLA का टेलर में दिखया गया है की PATNA SHUKLLA जो तन्वी शुक्ला (रवीना टंडन) है एक अति सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार से तालुक रखती है और एक मध्यम दर्ज की एक वकील है, जो अक्सर छोटे-मोटे मामलों को निपटाती है जिनका हम सब जानते है अदालत में उतने महत्यपूर्ण नहीं है और बाहर ही सुलझ सकती है लेकिन सामान्य आदमी का जीवन सामान्य कब चलता है और आते है, पटना शुकला के जीवन में एक दिचस्प मोड़ आता है जब PATNA SHUKLLA एक ऐसे मामले को न्याय दिलाने का फैसला करती है जो हमारी पूरी शिक्षा प्रणाली को कटघरे में खड़ी करती है
दरअसल रिंकी कुमारी (अनुष्का कौशिक) बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा है, जब उसे ज्ञात होता है की वह बीएससी पास नहीं कर पाई है तो उसे विश्वाश नहीं होता और वह परीक्षा परिणाम से असंतोष जताती है और पुन: जांच के लिए आग्रह करती है रिंकी को ये पूर्ण विश्वाश था की उसके पेपर सही किया और वो अच्छे अंको से उत्तीर्ण हो चाहिए इसी विश्वास से होकर कि उसका रोल नंबर किसी और के साथ जरूर बदल दिया गया था, रिंकी अपने अंतिम प्रश् पत्र की दोबारा जांच कराने के लिए विश्वविद्यालय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए PATNA SHUKLLA के पास जाती है
जतिन गोस्वामी जो बार एसोसिएशन के उमीदवार है विपरीत पक्ष के वकील है , जो अपने शानदार एक्टिंग और दलीलों से PATNA SHUKLLA को जानदार बनते है मजे की बात है की ये केस जैसे -जैसे आगे बढ़ता है इसमें राजनीति और समाज के प्रभावशाली हस्तियां इसमें शामिल होती जाती हैं,और जैसा हम सब जानते है , फिल्मो में हीरो का भी बुरा वक़्त आता है वैसे ही यहाँ भी PATNA SHUKLLA
( तन्वी शुक्ला) को विवादों में फसाया जाता है और उसकी अपनी पारवारिक जिंदगी भी तितर – बितर होती है
कुल मिला कर PATNA SHUKLLA ,रिंकी को न्याय दिलाने की एक दिलचस्प कहानी , तो क्या रिंकी जीत जाएगी ? PATNA SHUKLLA इसी पर प्रकाश डालता है – जैसे कैसे रोल नंबरों से जुड़े शिक्षा घोटालों का गहरा मुद्दा, जो अनगिनत छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है साथ ही यह PATNA SHUKLLAअपने कहानी के माध्यम से प्रकाश डालता है कि कैसे समाज में भ्रष्टाचार और सत्ता लोगों पर हावी है और सामान्य लोगों की कड़ी मेहनत को छीन लेते है ।
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PERFORMANCE IN PATNA SHUKLLA –‘पटना शुक्ला‘: प्रदर्शन
रवीना AS A – तन्वी शुक्ला —— PATNA SHUKLLA के रूप में रवीना टंडन कहानी की मुख्य पात्र हैं। जिसके इर्द- गिर्द कथा बुनी गई है मेरा मानना है कि रवीना, पटना शुक्ल के लिए भूमिका के लिए बिल्कुल सही विकल्प है । रवीना एक दृढ़ वकील के साथ-साथ एक व्यावहारिक- पारवारिक गृहिणी के किरदार में भी जचती है। रवीना का करैक्टर –शिफ्ट भी कमल का है जिस तरह से रवीना पेशेवर और निजी जीवन को संभालती है, कबीले तारीफ है और एक उत्कृष्ट कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखा है, वह खूबसूरती से किया गया है।
ANUSHKA KAUSHIK IN PATNA SHUKLLA —अनुष्का कौशिक जिन्होने रिंकी कुमारी की भूमिका की है एक छात्र का रोले अच्छे से निभा गयी है उनकी उनकी संवाद अदायगी बेहतरीन है और भविष्य में उन्हें तगड़े रोले मिलने चाहिए , PATNA SHUKLLA में रिंकी कुमारी की बॉडी लैंग्वेज थोड़ी ढीली असहज महसूस हुई इस पर उन्हें काम करना होगा छात्र के पीड़ा को चित्रण करने के लिए अभिवक्यक्ति के साथ ऐक्टिंग में कमी महसूस हुई जो एक सुंदर का विसय है
SATISH KAUSHIK IN PATNA SHUKLLA – — सतीश कौशिक सर की ये सम्भवत अंतिम स्क्रीन प्रजेंस होगी और उनको स्क्रीन पर देखना एक सिनेमा प्रेमी के आंखों के लिए हमेशा एक सुखद अनुभव होता है।सतीश कौशिक की अदाकारी ‘पटना शुक्ला‘ देखना सबसे बड़े आकर्षक कारकों में से एक है , क्योंकि सतीश कौशिक की यह आखिरी फिल्मों में से एक है जिसे उन्होंने अपने से पहले शूट किया था।
सतीश कौशिक के लिए , वर्णन करने के लिए, मेरे पास बिल्कुल भी शब्द नहीं हैं कि वह सतीश कौशिक कैसे हास्य के साथ-साथ कला के विस्तार पर ध्यान देते है और इस कौशल को संतुलित करते हैं। सतीश कौशिक ने मूवीज के जज के रूप में उनके अनोखे किरदार ने फिल्म में कुछ हँसी-मजाक वाले क्षणों के साथ गंभीरता भी लाते है
PATNA SHUKLLA —पटना शुकला में रवीना के पति का किरदार निभाने वाले मानव विज ने आकर्षक रूप से ध्यान खींचा है मानव विज एक अच्छे कलाकार की तरह अभिनय करते है
PATNA SHUKLLA —पटना शुक्ल के पिता के रूप में जेपी शर्मा के रूप में राजू खेर ने मेरा ध्यान जरूर खींचा है। जिस तरह से राजू खेर ने पटना शुक्ल लिए अपना समर्थन और प्यार व्यक्त किया है वह दिल को छू लेने वाली बात से कम नहीं है।राजू खेर की अभिव्यक्ति से केवल ईमानदारी झलकती है, और ये केवल दो लोग हैं राजू खेर और मानव विज जिनसे आप एक दर्शक के रूप में सबसे अधिक जुड़ जाते है और ये इन दोनों का कमाल है
PATNA SHUKLLA —पटना शुक्ल में नीलकंठ मिश्रा के रूप में चंदन रॉय सान्याल वही अपने आश्रम फेम एक्टर , काफी अच्छे थे। चन्दन रॉय को पटना शुक्ल में कोई असाधारण रोल नहीं मिला है चन्दन जिला के टॉप के वकील है जो जिला अदालत में मुकदमा लड़ते है लेकिन ये कहना चाहुँगा डायरेक्टर ने चन्दन रॉय से सही काम नहीं लिया है , चन्दन के किरदार में आत्मविस्वास की कमी झलकती है और और उसके संवाद वे–वजन प्रतीत होते है सीधे सब्दो में कहु तो केवल एक खराब लिखित चरित्र का है जिसे ढग से लिखा नहीं गया है
PATNA SHUKLLA –रघुबीर सिंह इन पटना शुक्ल , रघुवीर के रूप में जतिन गोस्वामी शानदार और जबरजस्ट है रघुबीर के शानदार चित्रण का एक खास गुण लेकर आए, है जो हर बार उनके सामने आने पर उनके चरित्र को प्रमुख कारक बना देती है । रघुवीर की शारीरिक एक्टिंग से ये प्रतीत नहीं होने देते है की वे एक corrupt आदमी है , आपको यह सवाल करने पर मजबूर कर देगा कि क्या सभी उच्च सरकारी आधिकारिक वास्तव में इसी तरह काम करते हैं। या कुछ ईमानदार भी है
PATNA SHUKLLA – DIRECTION ‘पटना शुक्ला‘: पटकथा, निर्देशन — PATNA SHUKLLA ‘ की कहानी शिक्षा प्रणाली और उसकी कमियों को उजागर करने आधार पे है और निश्चित रूप ये ऐसी फिल्म जिससे कोई सामान्य आदमी भी आसानी से जुड़ सकता है। हालाँकि कुछ बिंदुओं पर कुछ पात्र कमज़ोर ढंग से लिखे गए है मेरा मूल ध्यान इस बात पर है कि रवीना टंडन का किरदार कितनी अच्छी तरह लिखा गया है – एक मध्यम वर्ग की महिला जिसे एक पेशेवर के रूप में वह सम्मान नहीं दिया जाता है। कुल मिलाकर, विवेक बुडाकोटी, समीर अरोड़ा और फरीद खान ने फिल्म पर अपना जादू चलाया है।
डायरेक्शन इन पटना शुक्ल –एक निर्देशक के रूप में विवेक बुड़ाकोटी का कार्य था, उसे विवेक ने इस फिल्म के साथ जीवंत कर दिया गया है। विवेक का डायरेक्शन दर्शको को अंत तक रोक कर रखता है और विवेक पूरी कहानी को आसानी से दर्शको तक पूछने में सफल होते है शिक्षा – प्रणाली और इसकी कमिया , इस पर आधारित कई फिल्में पहले से ही बनी हैं। लेकिन, जो पटना शुक्ल फिल्म को सबसे अलग बनाती है, वह है इसका टाइट स्क्रिप्ट और अनूठी कहानी कहने का निर्देशक का ढंग