RANNEETI बहुत लंबे समय के बाद आखिरकार jio सिनेमा पर एक नया शो आ गया है जिसका नाम है RANNEETI: BALAKOT & BEYOND SEASON 1 इसके अंदर आपको कहानी देखने को मिलती है कि भारतीय सेना पर हमला हुआ है भारतीय सैनिक को उन्हें मार गिराया गया है इसके बाद कि बालाकोट से के अंदर किस तरह का बदला लिया गया था, वही कहानी इस RANNEETI में देखने को मिलती है जिसमें नौ एपिसोड हैं जिनकी लंबाई 35 मिनट से लेकर 45- 48 मिनट तक है। मैंने jio सिनेमा पर एक बहुत , मैंने नौ एपिसोड देखे, बहुत- बहुत लंबे और मध्यम रोमांचक, मध्यम रोमांचक,
मुझे RANNEETI वेब सीरीज़ ठीक-ठाक, औसत लगी। मैंने पाया कि यह मूलतः कुछ ही क्षण थे। कुछ ऐसे क्षण हैं जहां वेब सीरीज़ आपको रुचिकर लगेगी लेकिन बाकी क्षणों में यह था… RANNEETI आपको उबाऊ लगेगी और इसमें बहुत बातचीत होती है,, बहुत सारी बातचीत होती है। दरअसल, RANNEETI का दूसरा नाम वार्ता-लाप हो सकता था, यानी जिमी शेरगिल, आशीष विद्यार्थी, आशुतोष राणा, हमारी लारा दत्ता हो सकते हैं, इन सबके बीच इतनी वार्ता-लाप होती है, इतनी वार्ता-लाप चलती रहती है जो वार्ता-लाप है। एक निश्चित बिंदु के बाद यह उबाऊ होने लगा, यार, वह रोमांच, वह तनाव, वह उत्साह जो high volune में होना चाहिए, नहीं है, जिसके कारण मैंने पाया RANNEETI सीरीज ठीक-ठाक औसत रहेगी।
RANNEETI में यहां आपको घटनाओं में अच्छी गहराई देखने को मिलती है, जो कहीं न कहीं इस घटना में है। शो को बाकी सामग्री से क्या अलग बनाता है? हां, ये शो कोई परफेक्ट शो नहीं है. इसमें कमियां भी हैं, खामियां आप देख सकते हैं लेकिन हां, पिछले कंटेंट की तुलना में इस शो में कहीं न कहीं गहराई मुझे पसंद आई। सबसे पहले दोस्तों, शो. इसके अंदर आपको कोई भी बेमतलब का कॉमेडी ट्रैक देखने को नहीं मिलता है।
शुरुआत से ही RANNEETI में किसी न किसी तरह अपनी ही राह पर चलता है। ऐसा नहीं है कि बीच में कोई प्रेम कहानी चल रही है या किसी को सेल्स में नचाया जा रहा है. बेमतलब की बातें हो या बेमतलब की कॉमेडी, ये सारी बातें कहीं न कहीं बिल्कुल किनारे पर थीं और मुद्दे को यहीं पर काटने की कोशिश की गई है, जो कि मुझे देखने में अच्छी लगी
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RANNEETI में किरदारों का विकास अच्छा है,अगर मैं एक्टर्स की एक्टिंग की बात करूं तो दोस्तों सबसे पहले तो कास्टिंग बहुत ही कमाल की है। यहां कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक किरदार के लिए चुना गया अभिनेता बिल्कुल परफेक्ट था। सबसे पहले जिमी शैगल उत्कृष्ट हैं। मेरा मतलब है भाई साहब, वह किरदार को पकड़ने और उसे निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ते और यह भी वैसा ही है।’, आप उनकी यात्रा को महसूस करें, विशेष रूप से जिमी शूल की, वह किस स्थिति से बाहर आ रहा है, इस बीच उसके साथ क्या हुआ, वह कैसे स्थितियों को पूरी तरह से संभालने की कोशिश कर रहा है। आप उन्हें ये सब करते हुए देख सकते हैं, मूल रूप से उनका किरदार काफी जमीन से जुड़ा हुआ था, वो फिल्म बनाने में बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं, एक सीन तो ऐसा भी है जहां वो कहते हैं कि जब युद्ध के मैदान में गोली चलती है तो कुछ नहीं हो सकता तार्किक रूप से सुना जाए तो इसके मतलब कई ऐसी बातें हैं जो इस किरदार के शो को काफी जमीनी और हकीकत के काफी करीब बनाती हैं और ये बात मुझे पसंद आई।
इसके अलावा RANNEETI में अंदर आपको आशुतोष राणा भी देखने को मिलते हैं, उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है, लारा दत्ता भी आपको यहां देखने को मिलीं, वह भी अपने किरदार में बहुत अच्छी थीं, लारा दत्ता की भूमिका, , चरित्र, कथानक, मुझे बहुत पसंद आया, , लारा कैसी हैं दत्ता कुछ योजना बना रहे हैं? वह क्या करती है? सोशल मीडिया कैसे काम करता है? वह देखना और अभिनय करना दिलचस्प था। मुझे लारा दत्ता का अभिनय भी पसंद आया, इसलिए अभिनय बहुत-बहुत अच्छा किया है।
आशीष विद्यार्थी भी आपको देखने को मिले। देखिए इनकी एक्टिंग भी अच्छी है इसके अलावा दोस्तों शो के अंदर आपको सत्यजीत दुबे देखने को मिलते हैं वह भी काफी प्रभावशाली थे इसके अलावा यहां पर बीसी आंटी भी थीं उनका काम भी अच्छा था
वेब सीरीज में सबसे शानदार पल सत्यजीत दुबे और एलनाज का है। नारोजी, यह एक एक्शन सीन है, दोस्तों इसमें एक चेज़ सीक्वेंस है जिसमें वे दोनों एक कार में भाग रहे हैं और उनके पीछे गुंडे हैं, तो जिस तरह से उस चेज़ सीक्वेंस को शूट किया गया और निष्पादित किया गया, वह मुझे बहुत अच्छा लगा।
हालाँकि, दोस्तों, दूसरे भाग में RANNEETI एक कदम आगे बढ़ता है और कहीं न कहीं कई चीजें ऐसी होती हैं जिनकी सराहना नहीं की जाती है। मुझे लगा कि बिना किसी अनावश्यक खींचतान के इसे छोटा और छोटा किया जाना चाहिए था। इसके अलावा जिस तरह से सीजन दो का बेस तैयार किया गया है उसे देखकर तो यही लगता है कि सीजन दो के अंदर की कहानी पूरी तरह से काल्पनिक होगी क्योंकि भाई. सर, मुख्य कहानी यहीं ख़त्म हो गई है, अब इसके बाद वे कौन सा शब्द दिखाने जा रहे हैं, मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से काल्पनिक है
सीरीज का निर्देशन ——–संतोष सिंह…
लेखक—- —- मैत्रेय बाजपा, संजय चोपड़ा, अनिरुद्ध गुह, वसीम कपाड़िया
अतिरिक्त संवाद—- प्रतीक सिंह…
श्रृंखला का संगीत ——– जोएल क्रैस्टो द्वारा –
श्रृंखला संपादन —- उन्नीकृष्णन पयूर परमेश्वरन